नज़र मिलाने और चुराने से शुरु होने वाले प्यार को बंया करती है ये कविता नज़र मिलाने और चुराने से शुरु होने वाले प्यार को बंया करती है ये कविता
यारो वो धोखेबाज़ नहीं बस जरा जज़्बाती है। यारो वो धोखेबाज़ नहीं बस जरा जज़्बाती है।
क्योंकि मेरी ज़िंदगी की किताब के हर पन्ने पर लिखा है उसी के बारे में। क्योंकि मेरी ज़िंदगी की किताब के हर पन्ने पर लिखा है उसी के बारे में।
लबों पर हलकी सी मुस्कान रखकर सो जाना खवाब बन गया हैं ! लबों पर हलकी सी मुस्कान रखकर सो जाना खवाब बन गया हैं !
और मैं, वो, तेरा, मेरा इन सब चीजों का एक ही निचोड़ निकलता है के इश्क़ मे हमने आज क्या और मैं, वो, तेरा, मेरा इन सब चीजों का एक ही निचोड़ निकलता है के इश्क़ मे हमने...
चल पड़े सफर पे अंजान कुछ तो है दोनों के दरमियान। चल पड़े सफर पे अंजान कुछ तो है दोनों के दरमियान।